थरूर पर पार्टी में बढ़ती नाराजगी

मोदी सरकार की सार्वजनिक रूप से तारीफ करने और कांग्रेस की अहम बैठकों में शामिल न होने की वजह से शशि थरूर पिछले कुछ दिनों से पार्टी नेताओं के निशाने पर हैं। पार्टी के कई नेताओं को लग रहा है कि थरूर का रुख संगठनात्मक लाइन से अलग जाता दिख रहा है, जिससे भीतर ही भीतर नाराजगी बढ़ी है।

लोकसभा में विरोध के बीच नसीहत

लोकसभा के शीत सत्र के दौरान विपक्षी दलों के हंगामे के बीच शशि थरूर ने अपने ही साथियों को नसीहत देते हुए कहा कि संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलने देना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि जनता ने सांसदों को हंगामा और शोर-शराबा करने के लिए नहीं, बल्कि उनकी समस्याओं को उठाने और बहस के माध्यम से समाधान तलाशने के लिए संसद भेजा है।

“पार्टी में अकेला हो सकता हूं” वाली टिप्पणी

थरूर ने सदन में कहा कि वह शुरू से यह बात कहते आए हैं और सोनिया गांधी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता उनकी राय से वाकिफ हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि संभव है अपनी ही पार्टी में इस तरह खुलकर अलग राय रखने वाले वह अकेले हों, लेकिन लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहस और तर्कसंगत सवाल उठाना जरूरी है।

बैठकों से अनुपस्थिति और विवाद

एसआईआर से जुड़े मुद्दों और संसद की रणनीति पर हुई कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठकों में शशि थरूर के नहीं पहुंचने से सवाल उठे। इन बैठकों के तुरंत बाद वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कार्यक्रम में दिखे, जिसके बाद पार्टी के अंदर उनकी राजनीतिक निष्ठा और प्राथमिकताओं को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं, हालांकि थरूर ने सफाई दी कि वे उस समय अपनी 90 साल की मां के साथ व्यस्त थे।

लोकसभा में डीएमके नेता की टिप्पणी पर हंगामा

शुक्रवार को डीएमके के वरिष्ठ नेता टी आर बालू ने तमिलनाडु में एक दरगाह के पास स्थित मंदिर में ‘कार्तिगई दीपम’ से जुड़े विवाद को लोकसभा में उठाया, जिसमें मद्रास उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के बारे में की गई टिप्पणी पर सत्तापक्ष ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। बालू ने इशारों में एक दल पर सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया, जिस पर भारी हंगामा हुआ और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने आपत्ति जताते हुए कहा कि न्यायपालिका और व्यक्तियों के खिलाफ असंसदीय शब्दों का उपयोग स्वीकार्य नहीं है।

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